प्रिय सेमवाल जी ये आख़िरी पत्र है मेरा आपको क्योंकि आपका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है और आप अभी बड़े हादसे से निकल कर आयें है।
सेमवाल जी, शराब की ओवररेटिंग में आपका और आपके सरपरस्तों का हाथ होने का आरोप मैं बिना किसी वजह नहीं लगा रहा, मेरे पास पुख्ता सबूत है कि कैसे आपके दबाव में आबकारी महकमा काम करता है। एक व्यक्ति शुभम राठी ने ओवररेटिंग को लेकर शिकायत की, जांच चली और अंत में आपके विभाग के उच्च अधिकारी जी आप भी हो सकते हो रिपोर्ट लगायी गई जो बड़ी हास्यप्रद और दुर्भाग्यपूर्ण है इस राज्य के लिए , मैं ऐसे ही कुछ लोगो को पहाड़ विरोधी कहता इस पर जल्दी ही लेख लिखूँगा और बताऊंगा कैसे कुछ तथाकथित पहाड़ी हितेषी दिखाने वाले पत्रकार और अधिकारियों ने एक नेक्सस बनाकर इस राज्य के लोगो के साथ विश्वासघात किया।
अब रिपोर्ट पढ़िए, जाँच रिपोर्ट में आबकारी अधिकारी ने लिखा गया कि अंडर रेटिंग पर तो सजा का प्रावधान है यानी कोई MRP मूल्य से कम बेचेगा तो कार्यवाही हो सकती है पर MRP मूल्य से ज़्यादा यानी ओवररेटिंग पर कार्यवाही का कोई प्रावधान नहीं है, वाह!! क्या कमाल है कम मूल्य पर बेचने पर कार्यवाही और ज़्यादा पर बेचने पर कोई प्रावधान नहीं, अरे सोए हो क्या ? प्रावधान नहीं है तो बनाते तत्काल बैठक बुलाकर जब पूरे राज्य में चारों तरफ़ लोग त्राहिमाम कर रहे है और आप मजे ले रहे हो।
मुझे इस राज्य के तथाकथित हितेषियाँ पर हँसी आती है जो मेरे पत्र लिखने पर अपनी बवासीर को जगज़ाहिर करने लग जाते है, मेरा उनसे कहना है पहले पहाड़ के लिए किए गए अपने कामो की सूची जगजाहिर करो तब मुझ पर आरोप लगाने की कोशिश करना और सुनो दूसरी बात, तुन्हारे चाहने ये ना चाहने से मैं यहाँ से जाने वाला नहीं मुझ पर बाबा बद्री-केदार की विशेष कृपया जिसके नतीजे तुम पूर्व में देख चुके हो , कई मुख्यमत्रियीं के संरक्षण में तुमने मेरे ख़िलाफ़ अभियान चलाए पर कर कुछ नहीं पायें क्योंकि मैंने कभी ऐसा कोई काम राज्य या राज्य के लोग के विरोध में नहीं किया जिसके कारण मुझे मुँह छिपाना पड़े। जो लोग अपनी कलम को नीलाम करके सिर्फ़ अपना हित साधने के लिए इन नेताओं और अधिकारियों की चापलूसी में अपना वक्त बिताते है और ये भूल गए कि इस राज्य की स्थापना के लिए आंदोलनकारियों ने शहादत दी और अपना खून बहाया है उसके प्रति अपना 10% तो योगदान दे देते। हाँ तो मैं क्या कह रहा था सेमवाल जी, इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आपको थोड़ा सोचना होगा और कार्यवाही करनी होगी वरना इस बार सदन में सिर्फ़ शराब गूंजेगी। मेरे शब्दों में ना अहंकार और कोई धमकी , इसको पढ़ने वाले का दिमाग़ चमचे का है या राज्य के हितैषी नागरिक का ये उस पर निर्भर करता है।इस राज्य की विधानसभा का निर्वाचित सदस्य हूँ मेरी भाषा बहुत सरल और स्वाभिमानी है किसी को अहंकार लगता है तो मेरा दोष नहीं है। ये स्वाभिमान पता है क्यों है ? क्योंकि मैं गंगा जल हाथ में लेकर कसम खा सकता हूँ कि मेरे घर में राज्य के संसाधनों, निधि के पैसे या क्षेत्र में विकास कार्यों के कमीशन का पैसा नहीं आता और ना कभी आने दूँगा और सुनो जो मुझे ब्लैकमेलर कहते हो स्टिंगबाज कहते है एक व्यक्ति लाकर बता दो जो ये कह दे कि मैंने जीवन में किसी से स्टिंग करने या ब्लैकमेल करके पैसा लिया है तो मैं सदन इस्तीफ़ा दे दूँगा।एक बात का और जवाब देना स्टिंग हुए क्यों ? इतने दूध के धुले थे ? नहीं , ये लोग राज्य बेच रहे थे मैंने सिर्फ़ इन्हें नंगा किया।बीस साल से सिर्फ़ आप लोग आरोप लगा रहे हो पर सबूत तुम्हारे बाप को भी नहीं मिले और ना मिलेंगे क्योंकि जो व्यक्ति चुनाव लड़ने से पहले गंगा जल हाथ में लेकर बद्री-केदार की कसम खाकर आया हो कि कभी जीवन में राजनीति में रहते इस राज्य के लोगो के साथ बद्रीकेदार के इस राज्य के साथ धोखा नहीं करूँगा उसका जमीर बहुत मजबूत होता है।इस सीरीज की इतिश्री करता हूँ।