स्थानीय लोगों को दें निर्माण कार्य की ठेकदारी । वोकल फॉर लोकल की तर्ज पर स्थानीय लोगों को बनाएं सक्षम।।
उत्तराखंड में यूपी निर्माण निगम को दिए जाने वाले ठेके पहले से ही चर्चाओं में रहते हैं लेकिन अब सरकार भी और अधिकारी भी इसको लेकर संजीदा हैं और एक्शन भी हो रहा है।
दरअसल यूपी निर्माण निगम को उत्तराखंड में करोड़ों के काम दिलवाने के पीछे ठेकेदारों का एक गुट भी काम करता है जो राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए खुद पेटी ठेकदार के रूप में काम करते हैं जबकि उत्तराखंड सरकार की ही आधा दर्जन से अधिक सरकारी निर्माण एजेंसियां हैं । बाबजूद इसके कैसे यूपी निर्माण निगम को ठेके मिल रहे हैं ये भी जांच का विषय है।
अब आपको जानकर बड़ा ताज्जुब होगा कि पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में भारतीय को ऑपरेटिव विकास एवं निर्माण लिमिटेड नाम की एक और निर्माण एजेंसी को करोड़ो के काम दिए जा रहे हैं । पहली बार इस एजेंसी का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि ये कोई सरकारी एजेंसी होगी…!!! जबकि ये भी कोई प्राइवेट कंपनी है। यदि जानकारी जुटाई जाय तो उत्तराखंड के ठेकेदारों को इतना काम नहीं मिलता जितना इस जैसी कम्पनियों को।
मेरा मानना है कि उत्तराखंड में यहां की लोकल कंपनियों को काम मिलना चाहिए ।
आज उत्तराखंड के भीतर यहीं के लोकल ठेकेदारों को काम नही मिल पा रहा है जो समय समय पर अपनी बात रखते भी हैं कि उनकी अनदेखी हो रही है पर कोई सुनने के लिए तैयार नहीं ।
अरे भई!!! हमारे उत्तराखंड के लोकल ठेकेदार या निर्माण एजेंसियों के पीछे यहीं के कई लोगों के चूल्हे जलते हैं पर उन्हें वरीयता नहीं दी जा रही ।
सिस्टम तो ऐसा होना चाहिए कि लोकल लेवल पर स्थानीय महिलाओं और युवाओं की कॉपरेटिव सोसायटी बनाकर उन्हें ही काम मिलना चाहिए।
यदि हम लोगों को सरकारी नौकरियां नहीं दे सकते , स्वरोजगार से नहीं जोड़ सकते तो कम से कम इस तरह के निर्माण कार्यों से उनकी रोजी रोटी तो चला सकते हैं ।
वैसे भी आज निर्माण कार्यों के ऑनलाइन परीक्षण जैसी सुविधाएं हैं ऐसे में स्थानीय लोकल लोगों को ही विकास कार्यों के निर्माण कार्यों में भी जोड़ा जाना चाहिए ।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी गांव में किसी विद्यालय का भवन बनना है तो कार्यदाई संस्था ग्राम पंचायत होनी चाहिए और वहीं के स्थानीय युवाओं और महिलाओं को इसके निर्माण कार्य में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए ।
वर्तमान में मुख्य सचिव ने जो कड़ा एक्शन निर्माण निगम के खिलाफ लिया है उसकी भी सराहना होनी चाहिए।
मेरा मानना है कि जब तक हम सारी चीजों में लोकल फॉर वोकल का सूत्र नहीं अपनाते तब तक हम अपने स्थानीय लोगों को सक्षम नहीं बना सकते।