भारत-पाकिस्तान युद्ध और मुसलमान !!

by | May 8, 2025

दिल में तिरंगा हथेली पर जान देश पर क़ुर्बान। कुछ जाहिल पहलगाम अटैक को समझ ही नहीं पाये थे और मैं पहले दिन समझ गया था लेकिन मुझे पता था कि मैं कुछ भी कह दूँगा तो लोग मुझे अनाप-शनाप बोलेंगे , लेकिन वक्त की हर शह ग़ुलाम वक्त का हर शाह पर राज , वक्त अपने आप आया । पहलगाम पाकिस्तान को साज़िश थी भारत के अमन-चैन को ख़त्म करने की , साज़िश थी इस देश में दंगे भड़काने की , साज़िश थी देश में अराजकता फैलाने और गृह युद्ध जैसे हालात पैदा करने की । इस देश का मुसलमान कभी गद्दार नहीं रहा , 30 करोड़ में अगर चंद लोग घटिया है तो उसका पूरा दोष देश के सभी मुसलमानों पर नहीं मढ़ा जा सकता ।पाकिस्तान ने सोचा था धर्म पूछकर मारो और पूरे देश में ये जहर फैला दो कि मुसलमानों ने धर्म पूछकर मारा और इस से देश में माहौल ख़राब हो जाएगा दंगे हो जायेंगे, और ये सच भी है देश का माहौल एकदम बिगड़ा था । हिंदू मुसलमान को अलग नजर से देखने लगा था । देश का माहौल ख़राब होना शुरू हो चुका था। सोफिया कुरेशी की एक फोटो ने जो संदेश पूरे देश में दिया उसने अचानक से तस्वीर बदल दी । कई मुस्लिम लोगो को मैंने पलायन के ख़िलाफ़ पोस्ट डालते देखा , ब्लास्ट के वीडियो फोटो डालते देखा । ये देश सदियों से गंगा जमुना की तहजीब वाला देश है। कई मौके ऐसे आए जब देश में साम्प्रदायिक ताकतों ने देश में दंगे चाहे लेकिन सफल नहीं हो पाये । आज मैं फिर इस देश के हिंदुओं को बधाई देना चाहता हूँ कि आपने मौक़े की नज़ाकत को समझा सब्र बनाये रखा और साज़िश का खुलासा हो गया। मुझे पता है आज के इस बेबी में मुसलमान के लिए पोस्ट लिखना किसी हिंदू विधायक के लिए कितना घातक हो सकता है , लेकिन हम नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा ? क्या सिर्फ वोट बैंक देखकर राजनीति करें ? जिस मुसलमान को पाकिस्तान जाना था वो सन् 1947 चला गया , जो हिंदुस्तानी था वो भारत में रह गया । वो यहाँ रहना चाहता था इसीलिए रहा। नैनीताल जैसी घटना का मैं पुरजोर विरोध करता हूँ , निंदा करता हूँ , लेकिन क्या एक व्यक्ति के कारण पूरी कौन को दोषी ठहरा दिया जाये ? कितने ऐसे वाक्य रोज़ सुनने को मिलते है जहाँ दूसरी कौन के लोग बच्चों के साथ ऐसी घटना करते है तब हम लोग क्यों नहीं हल्ला करते ? झुनझुन , शिमला , भिवानी , ओड़िसा, शहडोल, गाजियाबाद में जो घटनाएं हुई वो क्या थी ? नैनीताल की घटना के बदले में उनके साथ जो स्थानीय लोगो में किया बिल्कुल ठीक किया और ऐसा करना एक नजीर बनाता है ताकि आगे से कोई ऐसा करने से पहले कई हज़ार बार सोचे। इतिहास के गर्भ में जायें तो इनको भी ग़द्दार बता देना

हकीम खां सूर का भी नाम मिटा देना,,, वो हाकिम जो हल्दी घाटी का हीरो था

महाराणा प्रताप के बहादुर सेनापति #हकीम ख़ान सूरी के बिना हल्दीघाटी युद्ध का उल्लेख अधूरा है। 18 जून, 1576 की सुबह जब दोनों सेनाएं टकराईं तो प्रताप की ओर से अकबर की सेना को सबसे पहला जवाब हकीम ख़ाँ सूरी के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने ही दिया था और मुगल सेना को भारी नुकसान पहुंचाया था।

कहते हैं हाकिम खान से उनके दुश्मन थर थर कांपते थे उनके अंतिम युद्ध में उनकी वीरता दिल दहला देने वाली है जब
हल्दीघाटी के युद्ध के समय हाकिम खान लड़ते लड़ते शहीद हो गए. उनका सिर कट कर गिर गया लेकिन उनका धड घोड़े पर ही रहा. मरने के बाद भी उनका सर कटा शरीर, हाथ में तलवार देखकर मुगलों के पसीने छूट गए.

कुछ दूर जाकर जहाँ उनका धड़ गिरा वहीँ पर उन्हें दफनाया गया.

हाकिम खान के साथ उनकी प्रसिद्ध तलवार को भी दफनाया गया. धीरे धीरे उस क्षेत्र के लोग उन्हें संत मानाने लगे. आज हाकिम खान को पीर का दर्ज़ा प्राप्त है.

शिवाजी का तोपख़ाना प्रमुख एक मुसलमान था। उसका नाम इब्राहिम ख़ान था,, जिसने संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी थी।

महारानी #लक्ष्मी बाई के महान तोपची गौश खान के इतिहास को जिसने उस वक्त की सबसे आधुनिक कड़क बिजली तोप का न केवल अविष्कार किया बल्कि उन्होने बड़ी सावधानी से रास्ते में आए मंदिर को बचाते हुए अंग्रेजों पर गोलों की इतनी बरसात की,, कि अंग्रेजों को पीछे हटना प़डा था,,रानी लक्ष्मीबाई के पास #ख़ुदा बक्स गौश खान सहित 1500 पठान अंगरक्षक थे, जो हमेशा उनके साथ रहते थे।

बुंदेलखंड में रक्षाबंधन का पर्व सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा पैगाम देता है। 1857 की क्रांति में महारानी लक्ष्मीबाई ने बांदा के नवाब अली बहादुर द्वितीय को राखी भेजकर फिरंगियों के खिलाफ मदद मांगी थी। बहन की राखी की लाज निभाने के लिए नवाब अली बहादुर द्वितीय 10 हजार सैनिकों के साथ फिरंगियों से युद्ध करने झांसी पहुंच गए थे।
यहाँ तक का अंतिम संस्कार तक उनके मुह बोले भाई नक़ाब अली बहादुर ने किया था

अरे गाँधी का इतिहास कुरेदोगे तो उसके अंदर सीमान्त गांधी (खान अब्दुल गफ्फार खान) का त्याग मिलेगा,,, सुभाष का इतिहास कुरेदोगे तो शाहनवाज, आबिद हसन, कर्नल हबीबुर रहमान जैसे रण बांकुरे ,, मिलेंगे,,अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का इतिहास कुरेदोगे तो मादरे हिंद पर मिटने बाले अशफ़ाक मिलेंगे,,, सेना का इतिहास कुरेदोगे तो पाकिस्तानी टैंकों की धज्जियाँ उड़ाता बीर शहीद अब्दुल हमीद मिलेगा!!!!

इन सब पर भी मन न भरे तो,,,, परमाणु संपन्न भारत से अब्दुल कलाम का भी नाम मिटा देना!!!
पर याद रखना की इतिहास न कभी मिटाया नहीं जा सकता है न निर्देशित किया जा सकता है, हाँ छिपाया जरूर जा सकता वो भी थोड़े वक्त

और अंत में राफ़ेल प्लेन जिस पर आज सब नाज कर रहे है रील्स डाल रहे है , उसकी पहली खेप भी एयर कमांडर हिलाल अहमद के नेतृत्व में भारत पहुँची थी ।
मुझसे कोई गलती इस लेख के लिखने में हो गई हो तो आप मुझे अपना छोटा-बड़ा भाई मानकर माफ़ कर देना।

जनता विधायक उमेश कुमार