मुख्यमंत्री जी। हमारे प्रदेश के हजारों उपनलकर्मियों के मामले को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
इन गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों के हजारों साथियों ने अपनी जवानी इस प्रदेश के विभिन्न विभागों में अपना योगदान देते हुए खपा दी पर आज भी ये अनिश्चितता के बीच जीवन यापन कर रहे हैं। इनमें अधिकांश तो हमारे वीर सैनिकों के बेटे और बेटियां हैं जिन्हें इस संस्थान के माध्यम से बकायदा नियमानुसार नौकरी दी गई।
उपनलकर्मियों के संगठन का संरक्षक होने के नाते मैं इनके मुद्दे को लेकर सुप्रीमकोर्ट तक लेकर भी गया। पिछले कई वर्षों से हम लोग संघर्ष कर रहे हैं। देश के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल जी ने भी इसमें पूरी पैरवी की और उपनलकर्मियों की जीत हुई और हाईकोर्ट के उस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मौन स्वीकृति दी ।जिस आदेश के मुताबिक कर्मचारियों को समान काम का समान वेतनमान देने की बात हुई थी , इन युवाओं का भविष्य सुरक्षित करने संबंधी आदेश हुए थे लेकिन राज्य सरकार के ऐसे कौन से अधिकारी हैं जिन्होंने सरकार को सलाह दी कि कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ भी एसएलपी दाखिल करेंगे और इन उपनल कर्मियों के साथ न्याय नहीं होने देंगे।
जब उपनलकर्मी भी राज्य कर्मचारियों की तरह विभागों में दिनरात अपनी सेवा दे रहे हैं तो समान काम के बदले समान वेतन मिलना ही चाहिए और यही न्यायसंगत भी है।
गौर से सोचने वाली बात है कि इन हजारों कर्मियों के ऊपर आज अपने परिवार की कई जिम्मेदारियां हैं । सुबह दस बजे से रात आठ बजे तक सरकारी दफ्तरों में अपना योगदान दे रहे हैं। अधिकांश विभाग तो इन्हीं उपनल कर्मियों की बदौलत चल रहे हैं बाबजूद इसके इनके साथ अन्याय हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी !! उपनल संस्था किसने बनाई ? इसमें कौन कौन नौकरी लगे ? इस विषय पर जाने की आवश्यकता नहीं है !! क्योंकि कुछ बेरोजगार युवा इसका भी विरोध करेंगे लेकिन विरोध तो तब होना चाहिए था जब शुरुआत हुई थी । आज इस विरोध का औचित्य नहीं चूंकि हमारे प्रदेश के इन युवाओं ने अपनी आधी जिंदगी उपनल के माध्यम से खपा दी ….. यदि आगे 50 साल की उम्र में इनको कोई हटा दे तो सोचिए?? इनकी उम्मीदों पर जी रहे इनके परिवार वालों पर क्या गुजरेगी ? इनके बूढ़े मां बाप , पत्नी ,बच्चे सब झटके में असहाय हो जाएंगे? क्या ये मानवीय पहलू है?
मुख्यमंत्री जी !! आप अगले पांच दस दिनों में जब भी समय मिले उपनलकर्मियों के इस मुद्दे पर हमें समय दीजिए । मैं आपको इस संबंध में पत्र भी प्रेषित करूंगा। ताकि मिल जुलकर उपनलकर्मियों की समस्या के समाधान की दिशा में आगे बढ़ा जाय!!! बाकी संघर्ष का रास्ता तो खुला ही है….. संघर्ष करेंगे और जीतेंगे….!!!
फोटो: रुड़की कार्यालय उपनल कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों के साथ।