उत्तराखंड में मूल निवास भू कानून के मायने और सरकार की नियत।

by | Nov 25, 2024

साथियों । मैं हमेशा से ही उन चीजों का पक्षधर रहा हूं जो जनहित से जुड़ी हैं। पूर्व में भी भू कानून और मूल निवास के मुद्दे पर पत्र सरकार को भेज चुका हूं।

मुख्यमंत्री जी से मेरा पुनः अनुरोध है कि इस मूल भावना से जुड़े विषय पर आपको एक ओपन जनमत करवाना चाहिए जिसमें जनता की राय भी ली जानी चाहिए कि भू कानून किस तरह का होना चाहिए ? ताकि राज्य में निवेश भी न रुके, विकास की गति भी प्रभावित न हो और जनता को उनका हक भी मिल जाए!!
सरकार भू कानून का कैसा ड्राफ्ट लाने जा रही है? ये अभी जनता को भी और निवेशकों को भी समझ नहीं आ रहा है।
मेरी तो राय है कि भू कानून ऐसा होना चाहिए ताकि जनता के हक हकूक भी संरक्षित रहें , कृषि भूमि भी बची रहे और रोजगार की संभावनाएं भी बनी रहें।
पहाड़ों में भी मैदानी क्षेत्रों की तर्ज पर सिडकुल की स्थापना पर फोकस करने की आवश्यकता होगी ताकि पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम आ सके । हमारे नौजवान युवाओं को उनके गांवों के आस पास ही रोजगार मिल सके पर इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि पहाड़ों में अंधाधुंध कटान न हो , पहाड़ों का मूल स्वरूप भी बना रहे।
पर्यटन की संभावनाएं उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही हैं। पहाड़ों में ट्रेन चलने के बाद यहां एक बड़ा रेवेन्यू मॉडल भी डेवलप होने वाला है इसको ध्यान में रखते हुए पर्यटन सर्किट बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ना होगा।

मैं यहां मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी को साधुवाद देना चाहता कि जिन लोगों ने उद्योग लगाने के लिए जमीनें ली थी उनका उपयोग न होने पर सरकार उन जमीनों को भी निहित कर रही है। अब कम से कम वो जमीनें आगामी भविष्य में काम में लाई जाएगी । और सच यही कि आपने ये हिम्मत दिखायी है और इसी नेक नियत से काम करते हुए इस पत्र का संज्ञान लें।

कुछ लोगों के लिए ये राजनीतिक मुद्दा हो सकता है पर जिन भावनाओं को लेकर इस राज्य का निर्माण हुआ था उन भावनाओ के अनुरूप ही नीतियां भी बनाई जानी चाहिए।
अब भू कानून और मूल निवास को लेकर एक बात और सामने निकल कर आ रही है जो तर्क संगत भी लगती है । वो है 5th शेड्यूल!! यानि कि उत्तराखंड के पहाड़ के मूल हिमालय क्षेत्र के लोगों को आदिवासी का दर्जा मिल सके ताकि उनके मूल निवास और भू कानून संबंधी चीजें संरक्षित हो सके और नौकरियों में भी आरक्षण के वो हकदार बन सके।
आप भी अपनी राय दें कि आप किस तरह का भू कानून चाहते हैं ? ताकि रोजगार भी बढ़े और जमीनें भी संरक्षित रहें।

नोट:- ये पत्र मैंने मुख्यमंत्री को एक साल पहले लिखा था