आप बीमार थे तो मैंने सोचा पत्र थोड़े समय बाद लिखा जाये। सबसे पहले तो शराब वितरण प्रणाली को सूझ-बूझ रखने और उसमे महारत हासिल करने की आपको बधाई। सेमवाल जी , एक बात जानना चाह रहा था कि इतने बीमार होने के बाद और इतनी लंबी छुट्टी के बाद भी आते ही आपको शराब महकमा वापस मिलने का कारण आपका विशेषज्ञ होना है या वितरण , कालाबाज़ारी, ओवररेटिंग के गुर को भली-भाँति समझना है ?आपके बारे में एक कहावत याद आती है मुझे, एक नदी में कंबल बहता जा रहा था , नदी किनारे खड़े आदमी कंबल के लालच में नदी में कूद गया , कंबल भी पकड़ लिया उसके बाद किनारे आने का प्रयास करने लगे लेकिन वापस नहीं आ पा रहा था तो लोगो ने कहा कि कंबल छोड़ वापस आ जाओ , व्यक्ति बोलो मैंने तो कंबल छोड़ दिया कंबल मुझे नहीं छोड़ रहा , वो कंबल नहीं भालू था। अगर केजरीवाल और मनीष शिशोदिया आपके चेले होते तो कभी शराब स्कैम में जेल नहीं जाते , समय रहते आपसे उनकी मुलाकात नहीं हो पायी ये उनका दुर्भाग्य रहा।मैंने सुना है शराब के खेल में पैसा ऊपर तक जाता है ? वैसे आपका इतिहास देखकर तो मुझे नहीं लगता की आपके विभाग में ऐसा होता होगा।खैर, ये बताओ कि जब मुख्यमंत्री के आदेश है कि सभी सरकारी बैठक सरकारी भवन में ही होंगी उसके बावजूद आपकी सारी बैठक सितारा होटलों में ही क्यों होती है ? बिल का भुगतान भी करते हो या लाइसेंस और कालाबाज़ारी की छूट के नाम पर सब चलता है या उत्तराखंड के लोगो के पैसे पर ही मौज लेते हो ? मैंने सुना है कि प्रमुख सचिव ने कोई पत्र जारी करा था जिसमे उन्होंने राज्य में शराब की कालाबाज़ारी , ओवररेटिंग की जाँच के आदेश किए थे और उस पर आपने “वार्ता” लिखा दिया था , अगर ऐसा है तो आपका रुतबा मुख्यमंत्री से भी ऊपर माना जाना चाहिए, ईश्वर आपको दीर्घायु करे। खैर, अभी के लिए इतना है बाक़ी ब्रेक के बाद।