मित्र पुलिस का ऐसा रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता। जनता की समस्याओं का जब समाधान नहीं होता तो जनता का लोकतांत्रिक अधिकार है कि वो आंदोलन करें ।
उत्तरकाशी के हिटाणु क्षेत्र में लगे तारकोल प्लांट , क्रेशर प्लांट और अंधाधुंध खनन से वहां के स्थानीय निवासियों के पानी के स्रोत सूख गए ,खेती बाड़ी को नुकसान हो रहा है, उनके स्वास्थ्य पर इसका असर हो रहा है जिसके लिए ग्रामीण आंदोलन कर रहे थे।
वहीं पुलिस उनको लाइव न करने की धमकी दे रही है और लाइव चलाने पर मुकदमा करने की भी धमकी दी जा रही है। दरोगा कह रहे हैं कि लाइव चलाने में निजता का हनन हो रहा है। अरे… सार्वजनिक स्थान पर कैसी निजता भाई ..?? तुम्हारे घर के अंदर आकर तो कोई वीडियो नहीं बना रहा है।
उत्तराखंड में गाहे बगाहे पुलिस के ऐसे वीडियो सामने आते हैं जिसमें वो कहीं जनता को पीटने दौड़ते हैं तो कहीं मुकदमा करने की धमकी देते हैं । ऐसे में मित्र पुलिस का टैग लेकर कैसे पुलिस पर जनता भरोसा करेगी।
किसी भी कानून की किताब में ये नहीं लिखा कि पुलिस वर्दी में गुंडों जैसा व्यवहार करे।
पुलिस महानिदेशक को अपने पुलिसकर्मियों की समय समय पर काउंसलिंग करवानी चाहिए ,उन्हें नैतिकता और मित्रवत व्यवहार का पाठ पढ़ाना चाहिए।
