“साले पहाड़ी” कहने पर हंगामा हुआ और इस्तीफ़ा हुआ , आज इस महिला ने साले प्लेन के बनिये कहा , इनका क्या होना चाहिए अब ये भी आप लोग तय करे, लेकिन ये भाषा बर्दाश्त नहीं की जाएगी ।मैडम आप कह रही है खुकरी निकाल लो , आप किस अराजकता की आग को हवा देना चाह रही है ? जब दंगे होते है तो गोली या खुकरी जाति, धर्म और देसी-पहाड़ी नहीं देखती , किसी का बेटा जाएगा तो किसी का बाप-भाई तो किसी की माँ-बहन।बस , शौक लग गया है कुछ लोगो कि पहाड़-प्लेन करो लोगो को उकसाओ और फेमस हो जाओ , ये अच्छी बात नहीं , पहले हिंदुस्तानी बनो उसके बाद उत्तराखंडी और तब जाकर पहाड़ी-देसी। शर्म आ रही है ऐसे बयान सुनकर कि क्या ऐसे लोगो के लिए मैं सदन में लड़ा था प्रेमचंद अग्रवाल से ? नहीं , मैं लड़ा था उत्तराखंडी के लिए और उत्तराखंड की अस्मिता पर हमला करने वाले से ।अफ़सोस, कैसी आग फैलाई जा रही है चंद लोगो द्वारा राज्य में । मत करो ये सब पता नहीं कौनसी चिंगारी आग का रूप ले ले ।अरे, जो राज्य को या राज्य के लोगो को ग़लत बोले उसे सजा दो , जेल भिजवाओ , उसका ढंग से इलाज करो पर देसी-पहाड़ी के नाम पर आम लोगो के जीवन में जहर मत घोलो ।
